स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022
राज्य विधान सभा में राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022 पारित किया गया।
इस विधेयक के पास होने के बाद इमरजेंसी में कोई भी अस्पताल इलाज के लिए मना नहीं कर सकता। अगर कोई अस्पताल मना करता है तो पहली शिकायत पर ₹10000 तक का जुर्माना और बाद में ₹25000 तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इस कानून में इमरजेंसी की स्थिति में इलाज का खर्चा सम्बन्धित मरीज द्वारा वहन नहीं करने की स्थिति में पुनर्भरण राज्य सरकार द्वारा किए जाने का प्रावधान रखा गया है।
50 से कम बेड वाले हॉस्पिटल इस कानून के दायरे में नहीं आएंगे।
जिला स्तरीय प्राधिकरण का प्रावधान भी किया गया है।
जिन बड़े अस्पतालों को राज्य सरकार द्वारा रियायती दर पर जमीनें उपलब्ध करवाई गई है, उन अस्पतालों को राइट टू हेल्थ विधेयक के अंतर्गत जोड़ने का प्रावधान है।
राज्य के प्रत्येक निवासी को निम्न अधिकार होंगे –
- रोग की प्रकृति, कारण, प्रस्तावित जांच और रोगों की देखभाल की जानकारी।
- उपचार के प्रत्याशित परिणामों, संभावित जटिलता और खर्चों को जानकारी।
- ओपीडी अथवा आईपीडी सेवाओं, चिकित्सा परामर्श, दवा, रोग के निदान, आपात परिवहन और आपातकाल में रोगी की देखभाल की निःशुल्क और बिना पूर्व भुगतान के उपलब्धता।
- कानून मामलों में पुलिस की अनापत्ति या रिपोर्ट के इंतजार में उपचार में विलम्ब नहीं।
- रोगी की मेडिकल रिकार्ड जांच रिपोर्ट और उपचार खर्च के विस्तृत बिल की जानकारी।
- देखभाल और उपचार करने वाले व्यक्ति के नाम और जॉब चार्ट की जानकारी।
- इलाज एवं देखभाल के दौरान मरीज की गोपनीयता, एकातंता और मानव गरिमा।
- स्वास्थ्य जांच एवं इलाज की दरों की सूचना एवं इलाज के लिए विकल्प की उपलब्धता।
- इलाज के दौरान अन्य अस्पताल, चिकित्सक से राय के लिए मेडिकल रिकार्ड की जानकारी।
- रोग की स्थिति, इलाज के बारे में रोगों को पूरी जानकारी, स्वास्थ्य केन्द्र से रेफरल परिवहन इलाज के दौरान और उसके बाद किसी शिकायत की सुनवाई और उसका निवारण।
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